ads By ravi

Thursday, June 24, 2010

एनिमेशन डिजाइन

एनिमेशन डिजाइन करें ख्वाबों की दुनिया

‘मैं हूं घटोत्कच, मैं दुनिया में सबसे निराला, धरती हिले, अंबर हिले, उठे जो मेरी गदा..।’ या फिर ‘जंगल-जंगल बात चली है पता चला है, चड्ढी पहन के फूल खिला है, फूल खिला है..।’ ये गाने किसे याद नहीं। इस करिश्मे के पीछे एनिमेशन का ही हाथ है। एनिमेशन के इसी चुलबुले, हंसोड़, जीवंत और ऊर्जावान कैरेक्टर्स को और भी बारीकी से महसूस करना चाहते हैं तो मिकी माउस, टॉम एंड जेरी और बेन-10 जैसे एनिमेटेड कैरेक्टर्स कार्टून नेटवर्क, पोगो, हंगामा और डिज्नी जैसे चैनल्स की टीआरपी बढ़ा रहे हैं। ये तो बातें हैं छोटे परदे की, दुनिया के बड़े परदे पर भी हनुमान, अवतार, श्रेक जैसी फिल्मों के जरिए एनिमेशन का धमाल जारी है। इतना ही नहीं, रुपहले परदे पर कभी गॉडजिला मुंह से आग उगलता है तो सड़कों पर रेंगता दिखता है एलियंस और ऊंची-ऊंची इमारतों पर छलांगें लगाता नजर आता है स्पाइडरमैन। इन सारी करामातों के पीछे जो चीज काम करती है, वह है मल्टीमीडिया और एनिमेशन। अगर विज्ञापन की दुनिया की बात करें तो इसमें भी एनिमेशन का खूब इस्तेमाल हो रहा है। बीते दिनों वोडाफोन का जू-जू तो बड़े-बड़े सुपरस्टार्स को भी मुंह चिढ़ाता नजर आया।

अब आप यह जानना चाहेंगे कि एनिमेशन का मतलब क्या है? इसका अर्थ ही है चुलबुला, जीवंतता, चुहलबाजी और चंचलता। इस चुलबुले माध्यम ने अपने नाम को सार्थक करते हुए कल्पनाशीलता और रचनात्मकता को नए पंख दिए हैं। साथ ही हजारों लोगों के लिए रोजगार के दरवाजे भी खोले हैं।

एनिमेशन और विजुअल इफेक्ट, 21वीं सदी की प्रमुख नौकरियों में से हैं। मल्टीमीडिया का बहुत बड़ा फलक है और इसमें संचार के एक से ज्यादा माध्यमों का प्रयोग किया जाता है। एनिमेशन में वचरुअल तिलिस्म बनाने के लिए शब्दों, चित्रों, ग्राफिक्स, ऑडियो और वीडियो का इस्तेमाल किया जाता है। इतना सब होने के बावजूद दिलचस्प यह है कि एनिमेशन मल्टीमीडिया का मामूली हिस्सा है।

अन्य देशों के मुकाबले भारत में एनिमेशन के अवसर बढ़ने का कारण यह भी है कि जहां अमेरिका में एक एनिमेटेड फिल्म बनाने के लिए 100 से 175 मिलियन डॉलर खर्च होते हैं, वहीं भारत में इसी फिल्म को बनाने में सिर्फ 15 से 25 मिलियन डॉलर की लागत आती है। इस लिहाज से एनिमेशन फिल्मों में आउटसोर्सिग से भी इसमें मदद मिलेगी।

भारत में वर्तमान में 30 हजार एनिमेटर्स हैं और कुछ सालों बाद लगभग तीन लाख एनिमेटर्स की जरूरत होगी। फिक्की-केपीएमजी रिपोर्ट भी इस बात को पुख्ता करती है कि इंडियन एनिमेशन इंडस्ट्री का मौजूदा साइज करीब 1740 करोड़ रुपये है, जो सालाना 17.8 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। 2013 तक इसका साइज बढ़ कर 3900 करोड़ रुपए हो जाने की संभावना है। इसके अलावा हिन्दुस्तान की एनिमेशन इंडस्ट्री को क्वालिटी के हिसाब से बेहतर माना जाता है, इसलिए यह एक बड़ा आउटसोर्सिंग सेंटर बनता जा रहा है।

कैसे बनें एनिमेटर ?

एनिमेशन में कुशलता हासिल करने के लिए जरूरी है गहन प्रशिक्षण। यूं तो इस फील्ड में करियर बनाने के लिए किसी खास योग्यता की जरूरत नहीं होती, लेकिन बेहतर नौकरी के लिए एनिमेशन में डिग्री या डिप्लोमा जरूरी है। एनिमेशन में ऑनलाइन कोर्स सहित बहुत सारे डिग्री और डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध हैं और उनमें दाखिले के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं पास है। सामान्य ग्रेजुएट भी एनिमेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन का कोर्स कर सकते हैं। उधर इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर, इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन जैसे कुछ संस्थानों में एनिमेशन के पीजी कोर्स में आर्किटेक्चर, टेक्नोलॉजी एवं इंजीनियरिंग और फाइन आर्ट्स के ग्रेजुएट्स ही आवेदन कर सकते हैं। इनके अलावा विभिन्न स्टाइल और तकनीक पर फोकस कर रहे ट्रेडिशनल एनिमेशन, स्टॉप मोशन एनिमेशन, रॉटस्कोपिंग, कंप्यूटर जनरेटेड 3डी और 2डी एनिमेशन, क्ले-मेशन, फोटोशॉप, ह्यूमन एनॉटमी, ड्राइंग आदि विशेषज्ञता वाले कोर्स भी उपलब्ध हैं। बस आपके पास कंप्यूटर की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए।

क्रिएटिविटी है बेहद जरूरी

जुनून, क्रिएटिविटी और कुशलता इस फील्ड के लिए बेहद जरूरी है। तभी कोई एनिमेटर किसी स्टोरी पर एक नये आइडिया के साथ काम कर सकता है। धैर्य, अनुशासन और काम के प्रति समर्पण भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह कड़ी मेहनत और एक ही प्रोजेक्ट पर बिना ब्रेक लिए लंबे समय तक डटे रहने का काम है। उसे मानव, जानवरों और पक्षियों के शरीर-विज्ञान और हरकतों, लचक और लाइटिंग इफेक्ट्स की भी अच्छी समझ होनी चाहिए। संचार कुशलता भी जरूरी है, क्योंकि ज्यादातर टीम में काम करना होता है। एनिमेटर को रंग, अनुपात, आकार, डिजाइन, कल्पना, बैकग्राउंड आर्ट और ले-आउट की जानकारी होनी ही चाहिए। उन्हें कंप्यूटर डिजाइन सॉफ्टवेयर में भी महारत चाहिए, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी के साथ फोटोग्राफी और लाइटिंग की समझ भी उतनी ही जरूरी है।

रोजगार के विकल्प

यह नौकरी के असीम अवसरों सहित तेजी से बढ़ रहा उद्योग है और इसमें पूरी एनिमेशन फिल्म से लेकर टेलीविजन, विज्ञापन उद्योग से लेकर ग्राफिक नॉवल, ह्यूमरस बुक्स और मैग्जीन इलेस्ट्रेशन में काम किया जा सकता है। इस फील्ड में बेशुमार अवसर उपलब्ध हैं जैसे वेबसाइट बनाना, ग्राफिक्स बनाना और 3डी प्रोडक्ट की मॉडलिंग। ये ऐसे अन्य काम हैं, जिसमें एनिमेटर रोजगार हासिल कर सकते हैं।

एंटरटेनमेंट, विज्ञापन, बिजनेस, फैशन डिजाइनिंग, इंटीरियर डिजाइनिंग, मेडिकल, लॉ और बीमा कंपनियों के प्रेजेंटेशन और मॉडल बनाने में भी एनिमेशन और वेब डिजाइनिंग के लिए संभावनाएं हैं। खेलों से जुड़े उद्योग, जिनमें वीडियो और मोबाइल गेम्स शामिल हैं, को भी अच्छे एनिमेटर चाहिए। एनिमेटरों के लिए फ्रीलांस के तौर पर काम करना भी कमाऊ विकल्प है, खासकर उनके लिए जो वेब एनिमेशन में पारंगत हैं। भारत में फिलवक्त 300 एनिमेशन स्टूडियो हैं, जिनमें 15 हजार से ज्यादा प्रोफेशनल जॉब में हैं। इस क्षेत्र में जबरदस्त तेजी की वजह अमेरिकी और यूरोपीय स्टूडियो से भारत में आने वाले आउटसोर्स जॉब हैं, इसलिए अच्छे रचनात्मक एनिमेटरों के लिए मौके हमेशा बरकरार रहेंगे।

कार्य प्रकृति

एनिमेशन में तीन तरह से काम होता है। प्री प्रोडक्शन, प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन। चरित्रों का निर्माण कल्पना को मूर्त रूप देते समय होता है। प्री प्रोडक्शन में कल्पना को खाके में उतारा जाता है। स्क्रिप्ट लिखना, स्टोरी बोर्ड तैयार करना, पृष्ठभूमि, ले आउट डिजाइनिंग, चरित्र का विकास, एनिमेटिक्स और आवाज का काम प्री प्रोडक्शन के अंतर्गत होता है। स्टोरी का सही नतीजा प्रोडक्शन के दौरान यानी एनिमेशन की मिक्सिंग में देखा जा सकता है। पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान आवाज की अंतिम रिकॉर्डिंग, रंगों का संपादन, टेस्टिंग और विशेष साउंड इफेक्ट आदि का समायोजन किया जाता है। रेंडरिंग द्वारा एनिमेशन के दृश्यों को अमली जामा पहनाया जाता है। इसके तहत डेटा एनिमेशन में बदल दिया जाता है। 3डी एनिमेशन एक टीम वर्क है, जो सृजनात्मक विचारों पर आधारित है। 3डी एनिमेशन मूवी में निम्नलिखित चरणों पर कार्य किया जाता है, जिनमें स्टोरी बोर्डिंग, कैरेक्टर स्केच, कांसेप्ट क्रिएशन मॉडलिंग, एनवायरमेंटस, रिंगिंग, करेक्टर एंड मैकेनिकल एनिमेशन, स्टोरी बोर्ड एनिमेशन, लाइटिंग टेक्सचरिंग प्रमुख हैं।

कौन-कौन से कोर्स हैं ?

भारत और विदेश के अनेक संस्थानों में ऑनलाइन सेवाओं के अतिरिक्त एनिमेशन में ग्रेजुएशन और डिप्लोमा कोर्स कराये जाते हैं। प्रमुख कोर्स हैं- सर्टिफिकेट कोर्स इन एनिमेशन एंड ग्राफिक्स, डिप्लोमा इन एनिमेशन, बीएससी/ एमएससी इन गेमिंग, बीए/एमए इन मल्टीमीडिया। ग्रेजुएशन एवं पोस्ट ग्रेजुएशन के अलावा पीजी डिप्लोमा इन डिजाइन, एडवांस डिप्लोमा इन 3डी फिल्म मेकिंग, 3डी एनिमेशन एंड विजुअल सिनेमेटिक्स भी प्रमुख हैं।

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